धनबाद(DHANBAD) धनबाद के मंझलाडीह हरिजन बस्ती में शनिवार को करम परब उत्सव का आयोजन किया गया.. जहां बीसीसीएल व सीसीएल के पूर्व सीएमडी गोपाल सिंह ने शिरकत किया ..इस कार्यक्रम में भारी संख्या ट
में स्थानीय महिलाओं ,युवतियों और अन्य गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया …
इस अवसर पर बीसीसीएल के पूर्व सीएमडी गोपाल सिंह ने कहा कि झारखंड का सबसे बड़ा पर्व में से एक करम परब सबसे ख़ास है…इस अवसर पर हम अपने भाई बंधु के बीच सुख दुख बांटने आएं है..वे अपनी ओर से करम परब को लेकर ग्रामीणों को बधाई देने के साथ समाज को जागरूक करने आएं है…

जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश से गरीबी मिटाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहें है उसी प्रकार वे जागरूकता मंच के माध्यम से ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने के मिशन में जुटे है…ग्रामीण , गरीब ,किसान और मजदूरों का सर्वांगीण विकास के लिए हम सभी प्रयासरत है..आज सभी को शिक्षा और रोजगार से जोड़ कर ही देश को आगे बढ़ाया जा सकता है…उन्होंने बताया कि करम पर्व के अवसर पर जागरूकता मंच की ओर से ग्रामीण महिलाओं के बीच साड़ी का वितरण किया गया है…
गौरतलब है कि करम परब के दौरान महिलाएं करम डाली के चारो ओर घूम घूम कर नृत्य करती है …25 सितंबर को करम परब मनाया जाना है..धनबाद में मंझलाडीह में अभी से ही महिलाएं इस उत्सव की विशेष तैयारी में जुट गई है… स्थानीय युवतियां बहुत ही उत्साहित दिखी,उनका कहना है भाई बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है करमा परब..
यहां आपको बता दे कि करम पर्व भारतीय राज्यों झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, ओडिशा और बांग्लादेश में मनाया जाने वाला एक फसल उत्सव है। यह शक्ति, यौवन और युवावस्था के देवता करम-देवता की पूजा के लिए समर्पित है। यह अच्छी फसल और स्वास्थ्य के लिए मनाया जाता है।
करम त्यवहार में एक विशेष नृत्य किया जाता है जिसे करम नाच कहते हैं। यह पर्व हिन्दू पंचांग के भादों मास की एकादशी को झारखण्ड सहित देश विदेश में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस अवसर पर श्रद्धालु उपवास के पश्चात करम वृक्ष की शाखा को घर के आंगन में रोपित करते हैं तथा मिट्टी से हाथी और घोड़े की मुर्तियां बनाकर करम देवता की पूजा करते हैं। पूजा-अर्चना करने के पश्चात महिला-पुरुष नगाड़ा, मांदर और बांसुरी के साथ करम शाखा के चारों ओर करम नाच-गान करते हैं।
दूसरे दिन कुल देवी-देवता को नवान्न (नया अन्न) देकर ही उसका उपभोग शुरू होता है।
करम नृत्य को नई फ़सल आने की खुशी में लोग नाच-गाकर मनाया जाता है। करम पर्व विभिन्न आदिवासी और गैर-आदिवासी समूहों बैगा, भूमिज, उरांव, खड़िया, भुईयां घटवाल,मुंडा, कुड़मी, कोरवा, बागाल, बिंझवारी, करमाली, लोहरा, आदि मनाया जाता है..झारखंड के गैर आदिवासी भी अपने आदिवासी भाइयों के साथ इस परब में शामिल होते है..
NEWS ANP के लिए रोहन के साथ कुंवर अभिषेक सिंह की रिपोर्ट.